Monday, March 7, 2016

आजादी : सही या गलत

हमें चाहिए आजादी 
हम लेके रहेंगे आजादी
आतंकवाद से आजादी
सामंतवाद से आजादी
पूँजीवाद से आजादी
भुखमरी से आजादी
जातिवाद से आजादी
वर्णवाद से आजादी
साम्प्रदायिकता से आजादी
इन नफरतों से आजादी
दंगाइयों से आजादी
भ्रष्टाचारियों से आजादी
जुमलेबाजों से आजादी
है हक हमारी आजादी
हम लेके रहेंगे आजादी ।।
इंकलाब इंकलाब इंकलाब जिंदाबाद ।।

(ये उन नारों के अंश हैं जो JNU में छात्रों द्वारा चीख-चीखकर लगाया गया जिनकी आजादी का अर्थ अलग-अलग निकाला गया ...)

पूछना चाहता हूँ सारे लोगों से कि इस नारे में ऐसा कौन सा शब्द या पंक्ति है जिससे देशद्रोह की बू आती है। दूसरी चीज कि मामला न्यायालय में है और उसके पहले देशद्रोह का आरोपित कहना ठीक रहेगा, क्योंकि अगर कल देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था माफ कर दे तो क्या आप उन लोगों को मार देंगे ?
तीसरी चीज कि इस देश का सिपाही देश की रक्षा करते हुए मारा जाता है और महीनों तक उसकी बेवा अपने परिजनों, बच्चों के साथ अपने हक की माँग करती है लेकिन उसे उसका हक नहीं मिलता
क्रिकेट में भारत जीतता है तो उसे लोग, राजनीतिक दल और संसद सम्मानित करती है, धन और सम्पत्ति की बरसात होती है लेकिन अगर कोई जवान मरता है तो उसके परिवार को अपना हक लेने के लिए भी न जाने क्या-क्या बेचना पड़ता है। अगर उसका पिता, उसकी माँ या बेवा ऐसे भ्रष्ट अधिकारी से आजादी की बात करे तो क्या उस पर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए ?
मुगलसराय के चंधासी गाँव चंदौली जिले का दिव्यांगों का विशेष कैंप लगता है जिसमें अगर बच्चों को पोषण युक्त भोजन, सम्मानजनक स्थिति में भोजन की व्यवस्था और ठंड से ठिठुराई पर रजाई, गद्दा-तोसक और बिस्तर न मिले, उनके शारीरिक कमी को दूर करने वाले कृत्रिम अंग न मिले तो इसे क्या कहेंगे। धान का कटोरा नाम से विख्यात चंदौली जनपद का किसान अगर आपदा, ओलावृष्टि या अन्य कारणों से बर्बाद खेती का मुआवजा माँगे और उसे शासन-प्रशासन न दे तो फिर क्या कहा जाएगा ? जिस दिन उन दिव्यांगों माता-पिता जिला प्रशासन, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी और समन्वयक् से उक्त सारी सुविधाएँ माँगें और कहें कि हमें आजादी चाहिए तो क्या देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाये ?
किसान मुआवजा माँगे और कहे कि भ्रष्ट प्रशासन से आजादी चाहिए तो क्या उस पर सेडिशन का आरोप चले और फाँसी दे दी जाये ?
यदि पत्रकार अपने साथियों के साथ सुप्रीम कोर्ट में हुए मारपीट के खिलाफ निष्क्रिय पुलिस-प्रशासन और अराजक तत्वों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए न्याय की माँग करें तो क्या पत्रकारों को देशद्रोही कहा जाए ?

अगर आप कहते हैं कि ऐसे भ्रष्ट तंत्र से मुक्ति चाहिए और मैंने कहा कि ऐसे भ्रष्ट तंत्र से हमें आजादी चाहिए तो क्या गलत है इसमें ?

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