सर्जन के चेम्बर से निकलते हीं उसने साथ चल रहे युवक का हाथ पकड़ा और बोली,
‘सुना तुमने ?’
‘हाँ’
‘क्या सुना ?’
‘यही कि आधे घंटे की सर्जरी के बाद तुम्हारी वर्जिनिटी वापस आ जायेगी। खर्च साठ हजार रुपये।’
‘पर मेरे पास तो मात्र बीस हजार रुपये ही हैं। तुम चालीस दे दो ना।’
‘लेकिन यह वर्जिनिटी का भूत तुम पर सवार कैसे हुआ ?’
‘इंगेजमेंट के दिन उसने बुलाकर मुझसे कहा कि यदि मैं वर्जिन हूँ तभी शादी के लिए आगे बे डाईवोर्स कर देगा। वर्जिनिटी को लेकर वह काफी संजीदा है।’
‘तो उससे क्या? मैं हूँ ना।’
‘छोड़ो, हँसी-ठिठोली मत करो। सीरियस मैटर है। आखिर इसके पीछे भी तो तुम हीं हो।’
‘तो एक बात बताओ, मेरे साथ रहने में क्या हर्ज है ?’
‘शादी करो तो मैं अभी रहने को तैयार हूँ पर लिव इन रिलेशनशिप पर मुझे भरोस नहीं है। मैं शादी के बन्धन में बँधना चाहती हूँ।’
‘तो वर्जिन बन जाओ।’
‘लेकिन चालीस हजार का जुगाड़ तो कर दो।’
‘वो तो कर दूँगा पर आज रात 10 बजे होटल किस्मत कमरा नं.- 615 में मिलो। शायद अन्तिम बार। जाते वक्त सुबह चालीस हजार ले लेना। ऑपरेशन तो शाम को होगा। दिन में आराम कर लेना और शाम को वर्जिन हो जाना। इसके बाद शादी में ही मिलूँगा एक प्यारे से गिफ्ट के साथ।’
इतना कहकर वह अपनी कार में बैठ गया। तिरछी नजरों से लड़की को देखा और मुस्कुराकर बोला,
‘होटल किस्मत........ रात 10 बजे........ चालीस हजार।’
लड़की चुपचाप उसे जाती देखती रही अपलक।