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क्या ग्रामीण पत्रकारिता का अस्तित्व रह पायेगा...
क्या ग्रामीण पत्रकारिता का अस्तित्व रह पायेगा ... 1990 के बाद जब भारत में पत्रकारिता विशेषकर टीवी पत्रकारिता की शुरुआत हुयी तो पूरे पत्र...
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क्या ग्रामीण पत्रकारिता का अस्तित्व रह पायेगा ... 1990 के बाद जब भारत में पत्रकारिता विशेषकर टीवी पत्रकारिता की शुरुआत हुयी तो पूरे पत्र...
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1965 का वो साल था कानपुर का वो अस्पताल था जहाँ जन्म मेरा हुआ वो देश हिंदुस्तान था कुछ पल ही सही इस देश की आवो हवा पर हमारा भी अधिकार थ...
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हमें चाहिए आजादी हम लेके रहेंगे आजादी आतंकवाद से आजादी सामंतवाद से आजादी पूँजीवाद से आजादी भुखमरी से आजादी जातिवाद से आजादी ...
yahi to vidambana hai... tabhi to 'aabkaari' aur 'madya nishedh' ek hee mantree dekhta hai...
ReplyDeleteLagta hai aapko desi ki aadat hai isliye desi dukan hi dikhi hai, varna gali gali mein angrezi sharab aur thandi Beer ki dukane bhi khuli hui hain.
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