Friday, November 8, 2013

छात्रसंघ आग की तरह, इस्तेमाल अलग-अलग


छात्रसंघ को लेकर पूरे समाज में दो तरह की धारणाएं चल रही हैं। एक धारणा यह है कि छात्रसंघ महत्वहीन है, अराजकता को जन्म देता है और पठन-पाठन का विनाशक है। दूसरी धारणा यह है कि छात्रसंघ उपयोगी है, छात्र हित में कार्य करता है और राजनीति का नर्सरी है। इन्हीं दो विचारधाराओं के बीच हमें भी कुछ सोचना पड़ता है। दरअसल, छात्रसंघ आग की तरह है, चूल्हे में रखो तो भोजन पकाता, झोपड़ी पर फेको तो आशियाना जला देता है। निर्णय छात्रों को लेना है कि इस आग का इस्तेमाल कैसे किया जाये।

सही मायनों में देखा जाये तो छात्रसंघ छात्रों की बुनियादी लड़ाई लड़ने के लिए बना। जैसा कि समस्त संघों का अन्तिम घोष वाक्य है कल्याण करना। उसी तरह छात्रसंघ भी छात्रों के कल्याण के लिए बना। साथ ही यह राजनीति का नर्सरी भी है। राजनीति में अपराधियों के प्रेवश पर रोक लगाने की क्षमता छात्रों में है। छात्रसंघों की राजनीति से निकले राजनेता माफियाओं से बेहतर होते हैं, क्योंकि वे राजनैतिक संस्कृति को जी कर आते हैं। जबकि माफियागिरी से निकला राजनेता हाथ जोड़ना नहीं, बल्कि हाथ छोड़ना जानता है। भारतीय राजनीति में छात्रसंघ की पृष्ठभूमि से निकले कई राजनेता हैं जिनका आचरण और व्यवहार औरों से अलग है।

वर्तमान में लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर छात्रसंघों का गठन हो रहा है और इसके बेहतर परिणाम भी सामने हैं। शत-प्रतिशत अराजकता से अब 50-50 का मामला बन गया है। अगर इसी तरह सुधार होता रहा तो अच्छे परिणाम भी सामने आयेंगे। वैसे अभी छात्रसंघ को स्प्रिंग बोर्ड की तरह इस्तेमाल करने की भावना प्रबल है और इसका लाभ राजनैतिक दल उठा रहे हैं। लेकिन अपने स्वरूप को छात्रसंघ को पहचानना चाहिए औऱ सामाजिक परिवर्तन के प्रबल अव्यव के रुप में स्थापित करना चाहिए।

डॉ. अनिल यादव

विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग
लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय
मुगलसराय।
मो. 9415201001

anilyadav.mgs@gmail.com

2 comments:

  1. sir of course the student's have the ability to turn politics neat and clean free from the mafia's,but it is seen now days that there behavior is just like mafia's then how can we expect them become an example.

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  2. ये कहना भी गलत न होगा कि छात्रसंघ चुनाव ही प्राथमिक राजनीति की पहली सीड़ी होती है। लेकिन ये तभी संभव हो पायेगा जब इसका सही वे में इस्तेमाल हो।

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